पूर्णिका _ दरिया ए इश्क

पूर्णिका _ दरिया ए इश्क।

लबालब लहराते दरिया ए इश्क मुझे डुबकी लगा लेने दीजिए।
महताब आफताब हुस्न की रोशनी में खुद नहला लेने दीजिए।

हुस्न आपके जैसा कही देखा नही ढूंढ कर देखो सारे जहां में।
हुस्न वाले हो मेहबूब मेरे इस बात का जश्न मना लेने दीजिए।

देख कर मुझको यू नजरे घुमा कर करीब सेआप गुजारा करे।
आपकी आंखों नशा इश्क भरा मुझको नजरे मिला लेने दीजिए।

गोरे गालों पर काला तिल है मेरा कातिल बड़ा आपका जानेमन।
 जान भी है हाजिर दिल ए बाग फूल इश्क खिला लेने दीजिए।

फीकी लगती कोयल की कूक मीठी बोली आपके सामने सनम।
प्यार से अपने होठों मेरा नाम ले इश्क प्याला पीला लेने दीजिए।

श्याम कुंवर भारती 
बोकारो,झारखंड

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